चने हो या छोले, यहां तक किसी भी किस्म की दाल क्यों ना हो। हममें से ज्यादातर लोग उन्हें पकाने से पहले भिगोते हैं। लेकिन इन्हें कितनी देर तक भिगोना है, इस बात का फैसला हम खुद ही कर लेते हैं।
दाल कितनी देर भिगोनी चाहिए? दालों को भिगोने की अवधि विभिन्न आधार पर अलग-अलग हो सकती है। यह व्यक्ति की पसंद और दाल के प्रकार पर भी निर्भर करता है। बहुत सारे लोग दालों को भिगोते हैं ताकि वे पकने के लिए तैयार हो जाएं और इससे उन्हें बेहतर रंग, स्वाद और पाचन गुण मिलते हैं। इसके अलावा, दालों को भिगोने से उनका भारीपन कम होता है और उन्हें आसानी से पकने के लिए बनाना होता है।
दालों को भिगोने का सामान्य तरीका है कि आप दाल को साफ करें और उसे पानी में भिगो दें। इसके बाद, दाल को कम से कम 4-6 घंटे तक भिगोने रखें। इस समय के दौरान दाल स्वेल या फूल सकती है और इससे उसकी पाचन गुणवत्ता में सुधार होता है। इसके बाद, भिगोई हुई दाल को छानकर पानी से अलग कर दें और चाहें तो उसे धो लें। अब आप इस भिगोई हुई दाल को पका सकते हैं या फिर अपनी पसंद के अनुसार व्यक्तिगत तरीके से तैयारी कर सकते हैं।
यदि आप भिगोई हुई दाल को रात भर भिगोना पसंद करते हैं, तो आप उसे रात में भिगो सकते हैं और सुबह तक उसे रख सकते हैं। इस तरीके से दाल पूरी तरह से फूल जाएगी और आप उसे पका सकेंगे।
ध्यान दें कि यह सिर्फ एक सामान्य दिशा-निर्देश है और दाल के प्रकार, आपकी पसंद और दाल की क्वालिटी पर भी निर्भर करेगा। आप अपनी खुद की तालाश करें और दाल को इतनी देर तक भिगोने का समय तय करें जिससे आपको उच्चतर गुणवत्ता वाली तैयारी मिले।
खतरा, सावधानी बरतना है जरूरी
कौन सी दाल कितनी देर भिगोनी चाहिए?
दालों के भिगोने का समय उनके प्रकार और आपकी पसंद पर निर्भर करेगा। यहां कुछ प्रमुख दालों के भिगोने के सामान्य समय सीमाएं हैं:
चना दाल (चने): चने को लगभग 6-8 घंटे तक भिगोना होता है।
काला चना (छोले): काले चने को 8-10 घंटे तक भिगोना चाहिए।
मसूर दाल: मसूर दाल को 2-3 घंटे तक भिगोना पर्याप्त होता है।
उड़द दाल: उड़द दाल को लगभग 4-6 घंटे तक भिगोना होता है।
तूवर दाल: तूवर दाल को 3-4 घंटे तक भिगोना पर्याप्त होता है।
मूंग दाल: मूंग दाल को 2-3 घंटे तक भिगोना होता है।
अरहर दाल: अरहर दाल को 4-6 घंटे तक भिगोना पर्याप्त होता है।
यह समय सीमाएं आमतौर पर दाल की आमतौर पर उपयोग होने वाली विधि के अनुसार हैं। हालांकि, यदि आपको अधिक समय के लिए भिगोना पसंद है और दाल की गुणवत्ता को बढ़ाना चाहते हैं, तो आप इस समय को बढ़ा सकते हैं। यह आपकी प्राथमिकता और स्वाद के अनुसार निर्धारित किया जा सकता है।
Vitamins For Skin: इन 5 आवश्यक विटामिन्स को डायट में करें शामिल, त्वचा होगी मुलायम, चमकदार और स्वस्थ
इन्हें भिगोने की अवधि क्यों जरूरी है?
दालों को भिगोने की अवधि कारणों के लिए जरूरी होती है:
सुलभ पाचन: दालों में पाया जाने वाला एक प्रकार का अंटी-न्यूट्रिएंट होता है जिसे "फिटिक एसिड" कहा जाता है। यह अंटी-न्यूट्रिएंट पाचन शक्ति को कम कर सकता है और खाद्य सुखा करने के बाद उसकी गुणवत्ता पर असर डाल सकता है। दाल को भिगोने से पहले उसमें मौजूद फिटिक एसिड की मात्रा कम होती है, जिससे दाल की पाचन शक्ति बेहतर होती है।
ताजगी और स्वाद: दाल को भिगोने से उसकी सूखे से तुलना में ज्यादा ताजगी और स्वाद मिलता है। भिगोई गई दाल भिन्न पदार्थों को सुखा सकती है और उसमें उपस्थित अरोमा और स्वाद को बढ़ा सकती है।
पकाने का समय कम करना: दाल को भिगोने से पकाने का समय कम होता है। यह दाल को जल्दी पकने के लिए तैयार करता है और पकाने में अधिक समय नहीं लगता है।
पोषण की गुणवत्ता: दाल में पाया जाने वाला कुछ पोषक तत्व, जैसे प्रोटीन, आमिनो एसिड्स और विटामिन, पानी में अधिक अवस्था में होते हैं। इसलिए, दाल को भिगोने से पहले, उसमें पोषण की गुणवत्ता बढ़ती है।
इन सभी कारणों से भिगोई गई दाल आसानी से पचती है, उसका पोषण अवशोषित होता है और उसका स्वाद भी बेहतर होता है।
खाने का बेस्ट तरीका भी जानें